Friday, July 20, 2012
Sunday, October 18, 2009
गुवाहाटी स्थित बॉर्डर की ताज़ा रिपोर्ट
दरअसल बात यह है की मेघालय में हेडमेन के इलेक्शन में गैर जनजाति लोग मतदान नही कर सकते हैं। खैर! वह बात अलग जब मेघालय बनने से पहले से रह-रहे लोगों को (जिनके पास इलेक्शन कार्ड भी है ) भी यह अधिकार नही दिया गया है। एक और बात गैर जनजाति गाँव (जहाँ ७५% लोग गैर जनजाति ही रहते हैं) वावजूद उन्हें यह अधिकार नही दिया गया है।
समाचार यह है की उस गाँव में एक उम्मीदवार जो पहले से ही वहा हेडमेन है उसने गैर जनजाति लोगों का साथ में लिया है और उन्हें अधिकार देने की बात कहता है। मगर वैसा नही है वह सिर्फ इलेक्शन जितने के लिए गैर जनजाति लोगों में सिर्फ उन ही लोगों का साथ ले रहा है जो नेपल से बिलोंग रखतें हैं। जिनके पास नेपाल का भी सिटिज़न कार्ड भी है। अगर पुराना हेडमेन उस गाँव में रहने वाले जो यहीं के लोकल हैं वैसे लोगों को साथ लेकर चलता तो उसे और सुप्पोर्ट मिलती।
Thursday, October 8, 2009
फोटो व पेपर कटिंग
और पेपर कटिंग में २५ अगस्त २००८ को हुए भू-माफिया और मेघालय पुलिस की ज्यादतियों की पेपर कटिंग hई.
Tuesday, October 6, 2009
कैसे मिल रही है लेडी भू-माफिया से धमकी
Wednesday, September 30, 2009
खानापारा स्थित असम-मेघालय बॉर्डर की आप बीती
कैसे मचा रहे है भू-माफिया असम- मेघालय बॉर्डर पर तांडव आए दीन बॉर्डर पर रहेने वाले भू-माफिया से परेसान रहते हैं क्योंकि उन्हें आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी वहां रहने वालों को जिस वक उनका हक़ है नही मिल पाया है। देश की आज़ादी के समय से रह-रहे लोग और असम से मेघालय अलग होने के पहले से रह-रहे लोगों को आज तक वहां रहने का अधिकार नही मिल पाया है। उन्हें आज तक न मेघालय सरकार की तरफ़ से जमीन का अधिकार दिया गया न असम सरकार की तरफ़ से। वे इतना परेसान हो गएँ हैं की अगर मेघालय का पक्ष्य लेते हैं तो जमीं का कोई कागज नही मिलता है, और अगर असम की तरफ़ है कहते हैं तो सरकार जमीं खाली करवाने के लिए बुलडोजर, जेसीबी लेकर उन्हें जमीं से बेदखल कर देतें हैं। मैं आप लोगों को हाल ही में २५ अगस्त २००८ में हुये भू-माफिया की सह पर मेघालय पुलिस का आतंक का उदहारण देता हूँ। पहले उस जमीं पर भू-माफिया लोग वहां रह-रहे लोगों को मानसिक और शारीरिक यातना देने के लिए surrender militant लोगों को वहां खाली पड़ी जमीं पर कैंप बनाकर bithaya jata है। लोग उन लोगों से वैसे ही भय से रहते हैं। ऊपर से इतने लोगों को देख और डर jate हैं। surrender militant लोग वहां के लोगों को darane dhamkane के लिए कभी-कभी marpit करते हैं to कभी उन लोगों की dhamkate हैं। मैं यहाँ yaha बताना chahata hun की उन लोगों ने bujurg लोगों को भी mara-pita और unhe bhu-mafia लोगों की तरफ़ से dhamkiyan bhi मिलने लगी। कभी police का डर दिखाना to कभी eviction कराने की धमकी देने लगे। baad में bhu-mafia लोगों ने वहां रह-रहे लोगों को बड़े industriyalist लोगों से कुछ रुपये देकर vaha जमीं khali karwaya। marta क्या न करता वहां रह-रहे लोग इतना paresan थे की जो मिला usise santusti कर अपनी janmbhumi को chodne के लिए majbur होना पड़ा। क्या उस जगह पर रहना unhe सिर्फ़ इसलिए नहीं मिला क्यों की वे gair janjati होना है ? बात यह है की उस जगह पर रहने के लिए tribal होना पड़ता है। क्यों की वह meghalaya के अन्दर आता है । मगर एक बात है की जो लोग १९४७ से या १९७१ के pahle यानी assam-meghalaya divide होने से pahle से हैं unhe क्या पता था की बाद में वह जमीं meghalaya के अन्दर आ जाएगा और unhe वहां से chodna पड़ेगा । एक बात और assam-meghalaya होने पर भी जिस जमीं पर इतने दिनों तक उनका adhikar था industriyalis का नजर पड़ते ही वहां bhu-mafia को bolbala क्यों hua ? एक बात और १९७१ के pahle उस जमीं पर वहां रह-रहे लोगों का ही adhikar था बाद में वहां कैसे shillong के लोगों का कैसे हुआ। सिर्फ़ इसलिए क्यों की वे tribal हैं और वहां rah-रहे लोगो नहीं हैं। इस बात को लेकर वहां रह-रहे लोगों ने hi-court में apeal भी किया था मगर shillong bench का judge tribal होने के चलते लोगों को वहां nyay नही मिला। और बाद में कुछ रुपये लेकर unhe जमीं khali करना पड़ा।